Satya Pal Malik Amit Shah

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक (Satya Pal Malik) इन दिनों अपने बयानों से चर्चा में हैं. मलिक के बयान भाजपा के लिए मुसीबत का सबब बनने लगे हैं. कयास लगाए जाने लगे हैं कि जल्द ही उन्हें राज्यपाल पद से हटाया जा सकता है. मलिक ने एक टीवी इंटरव्यू में खुद कहा है कि वह इसके लिए तैयार हैं. बोले, जिन्होंने मुझे राज्यपाल बनाया है, जब वह कह देंगे कि हम आपसे असहज महसूस कर रहे हैं तो मैं तुरंत पद छोड़ दूंगा. मलिक के निशाने पर भाजपा की केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, गोवा और जम्मू कश्मीर प्रशासन भी है. मलिक मेघालय से पहले जम्मू कश्मीर, गोवा, ओडिशा और  बिहार के राज्यपाल भी रह चुके हैं.

पढ़िए मलिक के बयान जिनसे भाजपा की सरकारें परेशान हैं.

1. किसानों की मांग जायज

कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांग जायज है. सरकार को एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए. एक साल से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. 600 किसान मारे गए. केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते ऐसा हो रहा है. मैं किसानों के साथ खड़ा हूं. प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए.

2. कई राज्यों में भाजपा चुनाव हार जाएगी

किसान आंदोलन राष्ट्रव्यापी है. उत्तर पूर्व में भी सक्रिय है. सरकार को जो सलाह दी जा रही है वो गलत है. उन्हें किसानों के विरोध को अनदेखी नहीं करनी चाहिए. मेरा आकलन है कि अगर समय रहते किसानों की बात नहीं मानी गई तो भाजपा हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश को गंवा देंगे. इन राज्यों में भाजपा चुनाव हार जाएगी.

3. केंद्रीय मंत्री को तुरंत हटा देना चाहिए

लखीमपुर कांड के बाद अजय मिश्रा का इस्तीफा उसी दिन हो जाना चाहिए था. वह वैसे ही मंत्री होने लायक नहीं है.

4. भाजपा के नेता गांवों में घुस नहीं सकते

किसान आंदोलन के बाद से भाजपा मुसीबत में है. इनके नेता गांवों में घुस नहीं सकते. लोग भाजपा नेताओं को दौड़ा रहे हैं.

5. मुझे 300 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर की गई

मैं जब जम्मू कश्मीर में राज्यपाल था तब मुझे 300 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की पेशकश की गई थी. यह पेशकश ‘अंबानी’ और ‘आरएसएस से संबद्ध व्यक्ति’ की दो फाइलों को मंजूरी देने के एवज में दी जानी थी, लेकिन मैंने यह डील निरस्त कर दी.

6. गोवा सरकार में भ्रष्टाचार

गोवा में कोरोना के रोकथाम के लिए सही से मैनेजमेंट नहीं किया गया. गोवा सरकार की घर-घर राशन बांटने की योजना अव्यवहारिक थी. एक निजी कंपनी के कहने पर ऐसा किया गया था, जिसने सरकार को पैसे दिए थे. कांग्रेस और विपक्ष के नेताओं ने मुझसे इसकी जांच कराने की मांग की थी. मैंने प्रधानमंत्री को इसकी जानकारी दे दी थी. चूंकि मैंने सरकार पर आरोप लगाए थे, इसलिए मुझे हटा दिया गया.

7. मेरे रहते आतंकी घुसने की हिम्मत नहीं करते थे

पिछले दिनों कई गैर-कश्मीरियों को आतंकियों ने निशाना बनाया है. जब मैं जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल था, तब श्रीनगर के 50 किलोमीटर के दायरे में आतंकवादी घुसने की हिम्मत नहीं करता था. अब खुलेआम आतंकी श्रीनगर में लोगों की हत्या कर रहे हैं.

8. लोग अब सच बोलने से डर रहे

मुझे ईडी या आईटी रेड से डर नहीं लगता है. हालात देश के ये हो गए हैं कि सच बोलने की हिम्मत कोई नहीं कर रहा है. मीडिया की भी ऐसी ही हालत हो गई है. पहले देश में राजनीति करने का एक उद्देश्य हुआ करता था, लेकिन अब राजनीति करने लायक भी नहीं बची है. पहले इस प्रकार की राजनीति बिल्कुल नहीं हुआ करती थी.

9. सरकार का मिजाज आसमान में होता है

सरकार का मिजाज थोड़ा आसमान में हो जाता है, उन्हें इनकी तकलीफ दिखाई नहीं देती. अगर किसानों की मांगे नहीं मानी गई तो यह सरकार दोबारा नहीं आएगी. मैं इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से झगड़ा कर चुका हूं.

10. सरकार ने मेरी बात नहीं मानी

कोरोना के दौरान गोवा सरकार से मैंने एयरपोर्ट के पास एक इलाके में खनन रोकने के लिए कहा था. सरकार ने मेरी बात नहीं मानी. बाद में यही इलाका कोरोना हॉटस्पॉट बन गया.

सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ था. मलिक के पिता बुध सिंह किसान थे. मलिक ने एक इंटरव्यू में बताया था कि जब वह दो साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था. उन्होंने प्राथमिक विद्यालय से शुरूआती शिक्षा हासिल की. इसके बाद ढिकौली गांव स्थित एक इंटर कॉलेज से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की. मेरठ कॉलेज से स्नातक किया. सत्यपाल मलिक के अनुसार, पिता के निधन के बाद वह खुद खेती करते थे और उसके बाद पढ़ाई करने जाते थे. 1968 में वह मेरठ कॉलेज में छात्रसंघ अध्यक्ष चुने गए.

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