सवाल यह है कि नवनीत राणा (Navneet Rana) और कंगना रनौत के मामले में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार ने भेदभाव क्यों किया? नवनीत राणा तो सिर्फ मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का जाप करने की जिद कर रही थी. कंगना रनौत की तरह शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को लेकर तू तड़ाक भी नहीं किया था. शिव सैनिकों द्वारा उनके घर पर धावा बोल देने के बाद नवनीत ने जैसे सरेंडर भी कर दिया था.
नवनीत राणा ने घर में बैठे-बैठे ही बोल दिया था कि काम पूरा हो गया. कहने लगी थी कि मातोश्री के बाहर लोग हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं और उनका मकसद पूरा हो गया है. फिर भी नवनीत राणा और उनके पति को गिरफ्तार किए जाने से साफ है कि यह फैसला सोच समझ कर किया गया है. बगैर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मंजूरी के यह संभव नहीं था. ठीक वैसे ही हुआ जैसे नारायण राणे और अर्नब गोस्वामी गोस्वामी को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था.
ऐसे किसी भी एक्शन के पीछे कोई ना कोई राजनीतिक मकसद जरूर होता है और नवनीत राणा और उनके पति की गिरफ्तारी के पीछे भी ऐसा ही मकसद है. मामले को मजबूत बनाने के लिए अन्य आरोपों के साथ-साथ सेडिशन का चार्ज भी लगाया गया है. जरूरी नहीं कि मुंबई पुलिस कोर्ट में यह साबित भी कर पाए. लेकिन ऐसा होने के बाद लंबा वक्त तो गुजर ही जाएगा.
राज ठाकरे को मैसेज दिया गया है?
सवाल है कि क्या महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे को खास मैसेज देने के लिए यह सब कुछ किया गया है? राज ठाकरे ने 3 मई को डेडलाइन दे रखी है. लेकिन सरकारी दबाव में मस्जिदों में लगे स्पीकर या तो बंद करा दिए गए हैं या फिर उनकी आवाज धीमी हो गई है. एक वक्त पर लग रहा था कि राज ठाकरे की धमकी के आगे उद्धव ठाकरे की सरकार झुक गई है. लेकिन नवनीत राणा के आ जाने से दांव उल्टा पड़ गया. आनन-फानन में मुंबई पुलिस ने घर से उठाकर जेल पहुंचा दिया.
ऐसा लग रहा है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार द्वारा लिया गया यह एक्शन बीजेपी को चेतावनी है और इसके साथ-साथ अपने सहयोगी दलों को भरोसा भी दिलाया गया है. लेकिन हर एक्शन के रिएक्शन की तरह यह बेहद खतरनाक राजनीति की तरफ इशारा कर रहा है. राणा दंपत्ति को जेल भेज दिया गया है.
जिन आरोपों में नवनीत राणा और उनके पति की गिरफ्तारी हुई है, राज ठाकरे का बयान भी करीब-करीब वैसा ही मिलता जुलता है. अब तो राज ठाकरे कह रहे हैं कि 1 मई को वह औरंगाबाद में रैली करेंगे, 5 जून को अयोध्या के दौरे पर जाएंगे और रामलला के दर्शन के बाद आक्रामक तरीके से आंदोलन चलाएंगे. राज ठाकरे पहले से ही कहते आ रहे हैं कि अगर 3 मई तक मस्जिदों पर लगी लाउडस्पीकर नहीं हटे तो जैसे को तैसा जवाब देने की जरूरत है. महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार को भी उन्होंने आगाह किया था.
नवनीत राणा और उनके पति को गिरफ्तार करके पुलिस स्टेशन ले जाया गया, तो दोनों ने अपनी तरफ से पुलिस को लिखित शिकायत दी, जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत और अपने घर के बाहर मौजूद 700 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने को कहा था.
महाराष्ट्र की सरकार की तरफ से गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने यही समझाने की कोशिश की है कि कानून अपना काम कर रहा है, ना कि पुलिस पर किसी तरह का दबाव है. गृह मंत्री की तरफ से यह भी कहा गया कि पुलिस को अलग से आदेश देने की जरूरत नहीं है. पुलिस अपना काम बखूबी कर रही है.
बीजेपी के लिए भी मैसेज है
खबर यह भी आई की गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए नवनीत राणा ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे से भी मदद मांगी थी, लेकिन गिरफ्तारी को नहीं टाल पाए. बीजेपी नेता नवनीत राणा और उनके पति से मिलने थाने में जरूर गए थे और उसी दौरान बताते हैं कि उनकी कार पर पथराव भी किया गया.
देवेंद्र फडणवीस ने नवनीत राणा और उनके पति के खिलाफ मुंबई पुलिस की कार्रवाई को उद्धव सरकार की तरफ से नाकामियों को छुपाने की कोशिश बताया है. महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि जब उनसे कोई चीज संभलती नहीं है तो ऐसी सभी चीजों को यह भाजपा स्पॉन्सर बोलते हैं. अपनी नाकामी छिपाने का प्रयास करते हैं.
जिस तरह से बीजेपी के नेता राणा दंपत्ति की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे हैं वह वैसा ही है, जैसे कंगना और गोस्वामी तथा नारायण राणे के मामले में देखने को मिला था. यह शिवसेना के उन आरोपों को बल देता है कि यह सब बीजेपी के इशारे पर ही हो रहा है. नारायण राणे का मामला थोड़ा अलग है क्योंकि वह बीजेपी के ही नेता है.
राणा दंपत्ति के खिलाफ एक्शन सिर्फ राज ठाकरे को बीजेपी के शह देने के खिलाफ चेतावनी भर नहीं है, बल्कि नवाब मलिक की गिरफ्तारी, संजय राउत और उद्धव ठाकरे के साले के खिलाफ ईडी के संपत्ति को जप्त किए जाने जैसे एक्शन पर भी रिएक्शन है.
इसके अलावा उद्धव ठाकरे ने गठबंधन के सहयोगियों को भी बताने की कोशिश की है कि कांग्रेस या एनसीपी को उनके कुर्सी पर रहते फिक्र करने की जरा भी जरूरत नहीं है. वह भी बीजेपी की शह लेकर कूदने वाले सभी लोगों के साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे, जैसा नवाब मलिक या संजय राउत या फिर उनके साले के खिलाफ हो रहा है.
राणे दंपत्ति के खिलाफ एक्शन ले कर और राज ठाकरे को वार्निंग देकर उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी को अपनी तरफ से आश्वस्त करने की कोशिश की है कि वह बीजेपी के हिंदुत्व की राजनीति के दबाव में आने वाले नहीं है और जिस राह पर वह चल पड़े हैं पीछे लौटने का सवाल ही पैदा नहीं होता.