Yogi Adityanath Twitt

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अक्सर ऐसे दावे करते हैं जिसके साक्ष्य ढूंढने पर भी मिलते नहीं है. विपक्षी पार्टियों पर तथ्यहीन आरोप लगाना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानो पेशा बन चुका है. जैसे ही चुनाव की दस्तक होती है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा संप्रदायिक बयानबाजी शुरू हो जाती है. विपक्षी पार्टी के नेताओं पर सांप्रदायिक आरोप लगाना, जाति धर्म के नाम पर बयानबाजी करना उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक हथियार है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) अक्सर अपनी चुनावी रैलियों में भाषणों के माध्यम से और अलग-अलग कार्यक्रमों में भी और सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से भी जनता के जरूरी मुद्दों को दबाकर गैर जरूरी मुद्दों को उछाल कर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करते रहते हैं.

कई बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) कुछ ऐसा बोल जाते हैं, जिसको लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े हो जाते हैं. योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को सोशल मीडिया (Social media) प्लेटफार्म ट्विटर पर एक के बाद एक कई ट्वीट किया. जिसमें धर्म को लेकर भी उन्होंने अपनी बात रखी और विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाने से भी नहीं चूके.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसमें एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा कि, वर्ष 2017 में हमारी सरकार आई तो हमने सबसे पहला काम किसानों की कर्जमाफी का किया था. वर्ष 2012 में सपा की सरकार आई थी तो उसने सबसे पहले ‘श्री राम जन्मभूमि’ पर आतंकी हमला करने वाले आतंकवादियों के मुकदमे वापस लिए थे. यही अंतर है आपकी भाजपा सरकार में और परिवारवादी सरकार में.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह ट्वीट करने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए और सोशल मीडिया यूजर्स ने योगी आदित्यनाथ को ट्रोल करना शुरू कर दिया. अनिल कुमार आजाद नामक यूजर ने लिखा कि, योगी जी धर्म की राजनीति छोड़ कर कुछ अच्छे और विकास कार्य की राजनीति करो. अब जनता को धर्म नहीं विकास और रोजगार की गारंटी चाहिए.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के ट्वीट पर जवाब देते हुए शैलेंद्र यादव नामक यूजर ने लिखा कि, ये बात तो बिल्कुल फ़र्ज़ी है कि किसानों की कर्जमाफ़ी हुई. कर्जमाफ़ी के नाम पर किसी के 2 रुपये तो किसी के 10 रुपये माफ़ हुआ. कर्जमाफ़ी तो जमकर उद्योगपतियों के माफ़ हुए है किसी के 500 करोड़ तो किसी के 700 करोड़ और “पुलवामा आतंकी हमले” को तो जनता भूली नही है उसका हिसाब 2022 में लेगी.

संदीप कुमार नामक यूज़र ने योगी आदित्यनाथ के ट्वीट पर जवाब देते हुए लिखा कि, कोरोना की दूसरी लहर में क्या हुआ दुनिया ने देखा. एलपीजी गैस के दाम कहा से कहा पहुँच गए, सब जानते है. सरसो के तेल का दाम कहा पहुँच गया, किसी से छुपा नही. महँगाई कहा जा रही है इस पर बात करने को तैयार नही है. देश को मुद्दों से भटकाया जा रहा है, क्यों?

आपको बता दें कि 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जब बीजेपी की सरकार बनी उसके बाद जितने भी बीजेपी के नेताओं पर और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पहले से केस चल रहे थे उनको विधानसभा के माध्यम से वापस ले लिया गया था. आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरों पर आरोप लगा रहे हैं जबकि खुद की सरकार में उन्होंने क्या किया उस पर बात करने के लिए तैयार नहीं है.

इसके अलावा आपको बता दें कि जिस कर्ज माफी की बात योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं ऐसी कोई कर्ज माफी उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से हुई नहीं है. जो कर्ज माफी हुई थी उसमें उत्तर प्रदेश सरकार की काफी किरकिरी भी हुई थी. क्योंकि किसी के ₹10 किसी के ₹20 और किसी के ₹100 माफ किए गए थे. सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुआ था. गन्ना किसान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार से खुश नहीं है.

कहा जा रहा है कि गन्ने का बकाया भुगतान अभी तक उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नहीं किया है. विपक्ष के दबाव में, खासतौर पर प्रियंका गांधी द्वारा लगातार गन्ना किसानों की मांगों को उठाए जाने के बाद गन्ने के मूल्य में थोड़ी वृद्धि उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से की गई है, लेकिन वह भी नाकाफी है.

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