आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) को आज भी उनकी उर्दू शायरी (Bahadur Shah Zafar Shayari) और अंग्रेजो के खिलाफ लोहा लेने के लिए याद किया जाता है. वह 1837 में बादशाह बनाए गए थे. उस वक्त तक देश में के काफी बड़े इलाके पर अंग्रेजो का कब्जा हो चुका था. अट्ठारह सौ सत्तावन में जब अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह हुआ तब लगभग सभी विद्रोही सैनिकों और राजा महाराजाओं ने उन्हें हिंदुस्तान का सम्राट माना था.
21 सितंबर के दिन को अंग्रेज हुक्मरानों के हाथों उनकी गिरफ्तारी के लिए इतिहास में दर्ज किया गया है. कहने को तो वह 1837 में बादशाह बनाए गए, लेकिन तब तक देश के काफी बड़े इलाकों पर अंग्रेजो का कब्जा हो चुका था. बहादुर शाह जफर का जन्म 24 अक्टूबर 1775 को हुआ था. कहा जाता है कि बहादुर शाह जफर को नाममाज्ञ बादशाह की उपाधि दी गई थी.
1837 के सितंबर में पिता अकबर शाह द्वितीय की मौत के बाद वह गद्दीनशीं हुए. बहादुर शाह जफर का पूरा नाम मिर्जा अबूजफर सिराजुद्दीन मोहम्मद बहादुर शाह जफर था. विद्रोह का नेतृत्व करने के मामले में अंग्रेजों ने बहादुर शाह जफर को गिरफ्तार कर वर्मा भेज दिया. लाल किले की भव्यता के विपरीत वह मौत तक म्यांमार में 4 कमरों वाले छोटे से घर में नजरबंद रहे.
6 नवंबर 1862 को अंग्रेजों की गिरफ्तारी में ही आखिरी मुगल शासक को लकवे का तीसरा दौरा पड़ा था. 7 नवंबर की सुबह 5 बजे उनका निधन हो गया था. बहादुर शाह जफर की कब्रगाह साल 1991 में खोजी गई थी. दरअसल ब्रिटिश जिलों में उन्हें गुप्त रूप से दफन किया था. दर्ज इतिहास के मुताबिक ब्रिगेडियर जसबीर सिंह ने अपनी किताब में बताया है कि रंगून में जिस घर में बहादुर शाह जफर को कैद करके रखा गया था उसी घर के पीछे उनकी कब्र बनाई गई.
उन्हें दफनाने के बाद कब्र की जमीन समतल कर दी गई. अंग्रेज अधिकारियों ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी कब्र की पहचान ना की जा सके. उस वक्त के बर्मा और अभी के म्यांमार में बहादुर शाह जफर की दरगाह पर हमेशा हुजूम जुटा हुआ रहता है. वहां लोग आखिरी मुगल को बाबा कहते हैं.
आपको बता दें कि बहादुर शाह जफर आज इस दुनिया में नहीं है लेकिन आज देश में कई सड़कों का नाम बहादुर शाह जफर रोड से है. वही पाकिस्तान के लाहौर शहर में भी उनके नाम से एक सड़क का नाम रखा गया है. बांग्लादेश में विक्टोरिया पार्क का नाम बदलकर बहादुर शाह जफर रख दिया गया था.
बहादुर शाह जफर की कुछ शायरियां (Bahadur Shah Zafar Shayari)
जो तू हो साफ़ तो कुछ मैं भी साफ़ तुझ से कहूँ
तेरे है दिल में कुदूरत कहूँ तो किस से कहूँ
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में
कितना है बद-नसीब ‘ज़फ़र’ दफ़्न के लिए दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में.
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी
ये चमन यूँ ही रहेगा और हज़ारों बुलबुलें
ये चमन यूँ ही रहेगा और हज़ारों बुलबुलें
अपनी अपनी बोलियाँ सब बोल कर उड़ जाएँगी
हमदमो दिल के लगाने में कहो लगता है क्या
पर छुड़ाना इस का मुश्किल है लगाना सहल है
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