1 फरवरी 2023 के दिन जब 1 तरफ संसद में बजट पेश हो रहा था और शेयर मार्केट में उछाल देखा जा रहा था दूसरी तरफ अडानी इंटरप्राइजेज के मालिक गौतम अडानी (Gautam Adani) एक अलग मुश्किल से जूझ रहे थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बुधवार को शाम होते-होते अडानी इंटरप्राइजेज लिमिटेड को 20 हजार करोड़ रुपए का अपना एपीओ रद्द करना पड़ा.
अमेरिकी फॉरेंसिक फाइनेंसियल कंपनी Hindenburg रिसर्च की एक रिपोर्ट को इसका कारण बताया जा रहा है जिसमें अडानी समूह पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं. कंपनी का यह एफपीओ अब तक का सबसे बड़ा 20 हजार करोड़ का एफपीओ था और पूरी तरह सब्सक्राइब हो चुका था यानी पूरी तरह बिक चुका था.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस एफपीओ में आम लोगों ने पैसे नहीं लगाए थे बल्कि मंगलवार को बड़ी कंपनियों और कुछ अमीर लोगों ने इसमें काफी पैसा लगाया था. बुधवार की शाम कंपनी ने एक बयान जारी करके कहा कि बोर्ड ने 1 फरवरी को हुई बैठक में एसपीओ वापस लेने का फैसला किया है, जिन्होंने भी सब्सक्राइब किया है उन्हें पैसे वापस किए जाएंगे.
विशेषज्ञों के मुताबिक Hindenburg की रिपोर्ट ठीक उसी वक्त आई जब अडानी समूह ने अपना एफपीओ लॉन्च किया, ऐसे में एफपीओ रद्द करने के फैसले को रिपोर्ट से जोड़कर देखा जा रहा है. बुधवार को अडानी समूह की सभी कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई, जिसके बाद उसी दिन कंपनी ने एफपीओ वापस लेने का फैसला किया.
विशेषज्ञों के मुताबिक आखिरी वक्त पर किसी कंपनी का एफपीओ रद्द करने का फैसला सामान्य नहीं है, इससे कंपनी पर लोगों का भरोसा कम होने का खतरा है. आने वाले वक्त में इसका असर कंपनी के कैपिटल बनाने की क्षमता पर पड़ सकता है.