Sharjeel Imam News

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नजदीक हुई हिंसा के मामले में जेएनयू के छात्र (Sharjeel Imam) और 10 अन्य लोगों को आरोप मुक्त कर दिया है. अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त करते हुए कहा असहमति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मौलिक अधिकार का ही विस्तार है.

कोर्ट ने क्या कहा?

अदालत ने जामिया के नजदीक हुई हिंसा के मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, इस मामले में दायर मुख्य चार्जशीट और तीन पूरक चार्जशीट को देखने के बाद जो तथ्य हमारे सामने लाए गए हैं, उनसे अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि पुलिस अपराध को अंजाम देने वाले असली अपराधियों को पकड़ने में नाकाम रही लेकिन इन लोगों (शरजील और अन्य लोगों) को बलि बलि के बकरे के तौर पर गिरफ्तार करने में कामयाब रही.

अदालत ने सभी 11 लोगों को आरोप मुक्त करते हुए पुलिस के काम करने के तरीके पर कड़ी टिप्पणी की है. फैसला सुनाते हुए जज ने कहा कि पुलिस हिंसा के असली साजिशकर्ताओं को पकड़ने में नाकाम रही. इसके बजाय उन्होंने इमाम, तन्हा और सफूरा जरगर को बलि का बकरा बना दिया. इस तरह की पुलिस कार्रवाई ऐसे नागरिकों की आजादी को चोट पहुंचाती है, जो अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए जुटते हैं.

जज ने कहा यह बताना जरूरी है कि असहमति और कुछ नहीं बल्कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के निहित प्रतिबंधों के अधीन भाषण देने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अमूल्य मौलिक अधिकार का विस्तार है.यह एक ऐसा अधिकार है जिसे बरकरार रखने की हमने शपथ ले रखी है.

आपको बता दें कि जेएनयू के छात्र शरजील इमाम के ऊपर दिल्ली पुलिस ने राजद्रोह और जामिया में दंगा भड़काने वाले भाषण के लिए चार्जशीट दायर की थी. शरजील ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के दौरान यह भाषण दिया था. पुलिस का आरोप है कि उनके भाषण के बाद जामिया के इलाके में हिंसा भड़की थी. उन्हें बिहार के जहानाबाद से दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. हालांकि परिवार वालों का कहना था कि उन्होंने सरेंडर किया था.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here