गुजरात के विधानसभा चुनाव 1960 से हो रहे हैं. लेकिन अब तक के चुनावी इतिहास में कांग्रेस का प्रदर्शन कभी इतना खराब नहीं रहा. जहां बीजेपी राज्य की 182 में से 150 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाती हुई नजर आ रही है तो वहीं कांग्रेस सिर्फ 18 सीटों पर आगे दिखाई दे रही है. इससे पहले 1990 में कांग्रेस का सबसे बुरा प्रदर्शन देखा गया था. उस वक्त पार्टी सिर्फ 33 सीटें जीतने में सफल हुई थी. इसके बाद कांग्रेस की सीटें बढ़ती गई भले ही वह सरकार से बाहर रही.
2002 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को गुजरात में 50 सीटें दी थी, जबकि 2007 में 59 सीटें मिली थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में पार्टी 77 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी और बीजेपी को काफी टक्कर दी थी. लेकिन इस बार कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. अगर रुझान नतीजों में बदल जाते हैं तो यह अब तक का कांग्रेस का गुजरात में सबसे बुरा प्रदर्शन होगा.
इस वक्त कांग्रेस की सिर्फ राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सरकार है और इन दोनों राज्यों में ही अगले साल चुनाव होने हैं. जिसमें राजस्थान कांग्रेस के अंदर भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की अदावत किसी से छुपी नहीं है और ऐसे में अगर आपसी खींचतान चुनाव के वक्त तक जारी रही तो कांग्रेस के हाथ से राजस्थान भी निकल सकता है.
कांग्रेस एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है. हालांकि कांग्रेस जनता के मुद्दों को उठाने में कभी पीछे नहीं रही. इसके अलावा राहुल गांधी भी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए जनता की आवाज सुन रहे हैं, जनता से डायरेक्ट कनेक्ट हो रहे हैं. लेकिन इन सब के बावजूद चुनावी नतीजे कांग्रेस के खिलाफ जा रहे हैं. इसमें मेंस्ट्रीम मीडिया की भी काफी अहम भूमिका दिखाई दे रही है. मीडिया लगातार सत्ता पक्ष के लिए माहौल बनाता रहा है, गुजरात में भी पूरे विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान यही देखने को मिला.
चाहे सांप्रदायिक मुद्दे हो या फिर जनता से जुड़े हुए मुद्दे हो या फिर जनता के खिलाफ सरकार की नीतियों पर बोलना हो, कांग्रेस हर वक्त सांप्रदायिकता के खिलाफ और जनता की मुद्दों पर आवाज उठाती रही. लेकिन इसके बावजूद जनता का साथ कांग्रेस को चुनावों के वक्त मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व को आत्ममंथन की जरूरत है और सोचना होगा कि ऐसी कौन सी कमी हो रही है कि चुनावों के वक्त जनता अपना समर्थन वोटों के रूप में नहीं दे रही है.
चुनावों के वक्त राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि आम आदमी पार्टी गुजरात में मुसलमानों के मुद्दों को जानबूझकर नहीं छू रही है और वह बीजेपी के वोट बैंक को टारगेट कर रही है. तमाम राजनीतिक विश्लेषक कह रहे थे कि आम आदमी पार्टी गुजरात में बीजेपी के वोट बैंक में सेंधमारी कर सकती है. हालांकि रुझानों में जिस तरह से बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आती हुई दिखाई दे रही है उससे साफ दिखाई दे रहा है कि गुजरात को लेकर राजनीतिक विश्लेषक गलत साबित हुए हैं और आम आदमी पार्टी ने गुजरात में कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया है.