सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) परिवार के लिए कहा जाता है कि उन्होंने कभी अपने समर्थकों के हक के लिए किसी से भी समझौता नहीं किया. केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनवा कर बीजेपी का दिल जीत लिया है, मगर अभी उनके लिए परीक्षा की घड़ी बाकी है.
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. इसके साथ ही 6 विधानसभा सीटों पर टिकट को लेकर सिंधिया और बीजेपी के बीच टकराव की स्थिति भी बन सकती है. जब सिंधिया कांग्रेस में थे उस समय भी मुख्यमंत्री कमलनाथ के साथ उनकी अदावत भी समर्थक मंत्रियों को सत्ता का पावर नहीं दिए जाने पर शुरू हुई थी.
कांग्रेस सरकार में भी मंत्री रहे तुलसीराम सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत, इमरती देवी सहित अन्य सिंधिया समर्थक मंत्री तथा विधायक लगातार इस बात की शिकायत कर रहे थे कि उन्हें अलग-थलग रखा जा रहा है. इसी बात को लेकर सिंधिया ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्पष्ट कह दिया था कि उन्हें सड़क पर भी उतरना पड़ सकता है. बाद में सिंधिया ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी.
6 टिकटों को लेकर सिंधिया असमंजस में
विधानसभा चुनाव को भले ही अभी कुछ महीने का वक्त बचा हुआ है, लेकिन विधानसभा की 6 सीटों पर मध्य प्रदेश के बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं की निगाह अभी से जमी हुई है. इनमें ग्वालियर पूर्व, गोहद, करेरा, मुरैना, डबरा, दिखनी शामिल है. इन सभी विधानसभा सीटों पर सिंधिया समर्थक उपचुनाव में हार का सामना कर चुके हैं. इन सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार उतारने की कोशिश में है, जबकि सिंधिया का प्रयास रहेगा कि उनके समर्थकों को ही एक बार और मौका दिया जाए.
अगर इन सीटों पर सिंधिया की बीजेपी से बात नहीं बनती है तो सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या अपने समर्थकों के लिए सिंधिया बीजेपी से भी बगावत कर जाएंगे?