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शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह हाथ से निकल जाने के बाद महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एक्शन मोड में आ गए हैं. उद्धव ठाकरे ग्रामसभा के बाद 26 मार्च को मालेगाव में जनसभा करेंगे. उद्धव ठाकरे अब पार्टी संगठन के विकास के लिए सीधे मैदान में उतरने की तैयारी में है और बागी विधायकों की विधानसभा क्षेत्र में जनसभा करेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट की उस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करने पर सहमति जताई जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को असली शिवसेना के तौर पर मान्यता देने और उसे तीर कमान चुनाव चिन्ह आवंटित करने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है.

चुनाव आयोग द्वारा एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी दिए जाने के बाद शिंदे गुट के नेता राहुल शेवाले ने लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखकर शिवसेना का कार्यालय शिंदे गुट को देने की मांग की थी. लोकसभा सचिवालय ने राहुल शेवाले को पत्र भेजकर शिवसेना पार्टी कार्यालय सौंप दिया है.

महाराष्ट्र असेंबली में बने शिवसेना के ऑफिस पर शिंदे गुट द्वारा कब्जा किए जाने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हमारी पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह छिन गया है, लेकिन ठाकरे नाम कोई नहीं छीन सकता. चुनाव आयोग को भांग कर देना चाहिए. उन्होंने कहा है कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ हमने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. महाराष्ट्र में जो कुछ चल रहा है अगर उसे नहीं रोका गया तो 2024 का लोकसभा चुनाव देश का आखिरी चुनाव हो सकता है.

आपको बता दें कि चुनाव आयोग द्वारा फैसला दिए जाने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा था कि शिंदे समूह ने भले ही कागज पर तीर कमान निशान चुरा लिया हो, लेकिन असली धनुष और तीर जिसकी पूजा बालासाहेब ठाकरे करते थे वह मेरे पास है.

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