Thursday, March 28, 2024
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क्या यह वोट बैंक Rahul Gandhi का दे पाएगा साथ?

भारत जोड़ो यात्रा के बाद से ही राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का सियासी सफर कुछ बदला बदला सा दिखाई दे रहा है. किसानों के साथ किसान बनने वाले भी राहुल हैं. ट्रक ड्राइवरों के साथ मुलाकात के दौरान ड्राइवर की भूमिका निभाने वाले भी राहुल ही हैं. इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर कुलियों से बातचीत के दौरान खुद कुली बनने वाले भी राहुल ही हैं.

राहुल गांधी (Rahul Gandhi News) का यह अंदाज काफी कुछ कह रहा है. इसके पीछे की मंशा भी समझी जा सकती है. ऐसा नहीं है कि बिना किसी रणनीति के कांग्रेस नेता समाज के इन वर्गों से यूं मुलाकात कर रहे हैं. मौसम चुनावी है, ऐसे में हर दांव में सियासत की पूरी संभावना नजर आ रही है.

गुरुवार को अचानक से राहुल गांधी (Rahul Gandhi With Public) आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए. वहां पर उन्होंने सिर्फ कुलियों से मुलाकात नहीं की, बल्कि उनकी तरफ से खुद भी एक कुली की भूमिका निभाई गई. उन्होंने बाकायदा कुली वाले लाल कपड़े पहने. सर पर सामान उठाया और कुछ देर तक दूसरे कुली साथियों के साथ चलते भी रहे. इसके बाद राहुल गांधी उन कुलियों के बीच ही बैठ गए. उनसे लंबी बातचीत की. उनकी चुनौतियों के बारे में जाना और वहां से चल दिए.

बाद में मीडिया से बातचीत में कुलियों ने कहा कि गरीबों के बीच जो रहेगा वही गरीबों के दर्द को समझ पाएगा. राहुल गांधी के लिए अगर कोई यह बात कह रहा है, तो यह उनकी बड़ी जीत मानी जा रही है.

यहां यह समझना जरूरी हो जाता है कि 2014 और फिर 2019 का जो लोकसभा चुनाव था उसमें बीजेपी ने राहुल के खिलाफ माहौल सेट किया था, यह लड़ाई कामदार बनाम नामदार की है. अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक में राहुल को शहजादा कहकर संबोधित किया था.

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने सबसे पहले उस सेट किए गए माहौल और नेरेटिव पर कड़ा प्रहार किया. जिन राहुल गांधी के लिए एसी रूम में बैठने वाले नेता जैसे बयानों का इस्तेमाल हुआ उन्होंने पैदाल ही हजारों किलोमीटर की यात्रा कर डाली. किसानों से लेकर व्यापारियों तक, नौजवानों से लेकर महिलाओं तक, बुजुर्गों से लेकर दलित आदिवासी तक, राहुल ने सभी से मुलाकात की.

बीजेपी को धराशाई करने के लिए राहुल गांधी के हाथ एक बड़ा हथियार लगा है. अब राहुल गांधी सिर्फ रैलियों या फिर सोशल मीडिया के जरिए जनता से संवाद स्थापित नहीं कर रहे हैं, बल्कि उनकी तरफ से तो सीधे जमीन पर जाकर लोगों से मुलाकात की जा रही है.

राहुल गांधी सियासत की अंतिम पंक्ति तक पहुंच रहे हैं. कहने को जिन लोगों से वह मुलाकात कर रहे हैं वह किसी भी धर्म जाति के हो सकते हैं. यह ओबीसी हो सकते हैं, अति पिछड़े हो सकते हैं. शहरी हो सकते हैं, ग्रामीण हो सकते हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह सभी लोग आम आदमी है.

देश के उसे वर्ग से राहुल गांधी मुलाकात कर रहे हैं जो मेहनत करके पैसा कमा रहे हैं. हर रोज कमाते हैं और अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं. राजनीति में जब अंतिम पंक्ति तक सभी को फायदा पहुंचाने की बात होती है तो वह अंतिम पंक्ति यह आम लोग ही हैं. राहुल ने अपनी कुछ मुलाकातों के जरिए इन्हें ही साधने का काम किया है.

इस वक्त बीजेपी राष्ट्रवाद तथा हिंदुत्व के मुद्दे पर जोरदार बैटिंग कर रही है. उसी बीच कांग्रेस को अपनी खुद की सियासी पिच तैयार करने की जरूरत है. कॉमन मैन वाली यह पिच देश की सबसे पुरानी पार्टी के लिए काफी लकी साबित हो सकती है, क्योंकि यह वोट बैंक किसी जाति धर्म पर आधारित नहीं है. यह तो बस उसे वोट करने वाला है जो उनके हक की बात करेगा. इन्हें राष्ट्रवाद के मुद्दे से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है.

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