राहुल गांधी एक लंबे अरसे से आरएसएस और बीजेपी के सामने विचारधारा की लड़ाई लड़ रहे हैं. लेकिन जहां तक चुनावी नतीजों का सवाल है राहुल गांधी को कुछ खास सफलता अभी तक नहीं मिली है. राहुल गांधी को एक लंबे अरसे से एक ऐसे शस्त्र की तलाश रही जिसे वह आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल कर सकें. एक ऐसा ब्रह्मास्त्र जो आरएसएस और बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे में घुसकर उन्हें परेशान कर सकें.
भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी नित नए प्रयोग करते हुए दिखाई दे रहे हैं और जिस तरह का रिस्पांस उन्हें इस यात्रा में मिल रहा है निश्चित तौर पर राहुल गांधी के लिए उत्साहवर्धक दिखाई दे रहा है. जैसे गुरिल्ला युद्ध में दुश्मन के खिलाफ घात लगाकर हमले किए जाते हैं और मौका देखकर घुसपैठ, राहुल गांधी भी बिल्कुल वही तौर तरीका अपनाते हुए दिखाई दे रहे हैं और खास बात यह है कि कांग्रेस नेता के निशाने पर आरएसएस और बीजेपी का हिंदुत्व एजेंडा है.
विचारधारा की लड़ाई में राहुल गांधी इस कदर बीजेपी के खिलाफ हैं कि अगर कांग्रेस महंगाई पर भी रैली बुलाती है तो राहुल गांधी हिंदुत्व और हिंदुत्ववादियों में फर्क समझाने लगते है. जब विचारधारा की लड़ाई हद से ज्यादा मुश्किल हो तो हल्के-फुल्के दांव से काम नहीं चलता बड़े पैमाने पर गदर मचानी पड़ती है. आरएसएस और बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी ने वैसा ही हथियार खोज लिया है जैसे बीजेपी तीन तलाक के जरिए मुस्लिम घरों में घुसकर पुरुषों और महिलाओं का बंटवारा कर अपने खिलाफ पड़ने वाले एकजुट वोटों को न्यूट्रलाइज करने की कोशिश कर रही है.
बीजेपी के लिए मुश्किल यह है कि बीजेपी का कांग्रेस मुक्त भारत अभियान अभी तक मंजिल पर नहीं पहुंच सका है और ना ही अमित शाह का ड्रीम प्रोजेक्ट पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक बीजेपी के शासन के स्वर्णिम काल में ही पहुंच सका है और इसी बीच राहुल गांधी घात लगाकर धावा बोलने लगे हैं. राहुल गांधी आरएसएस और बीजेपी की ‘जय श्री राम’ के नारे की जगह ‘जय सियाराम’ बोलने की चुनौती दे रहे हैं और यह सिर्फ ऐसे ही नहीं है.
राहुल गांधी ने आरएसएस को ठीक उसी जगह चोट पहुंचाई है जहां वह कमजोर पड़ता है, संघ में महिलाओं की गैरमौजूदगी. राहुल गांधी ने आरएसएस में महिलाओं की गैरमौजूदगी का मुद्दा 2017 में भी उठाया था. उन्होंने फिर से आरएसएस की उसी कमजोर नस पर प्रहार किया है. राहुल गांधी ने आरएसएस को सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि हमारे जो आरएसएस क मित्र हैं मैं उनसे कहना चाहता हूं, ‘जय श्री राम’, ‘जय सियाराम’ और ‘हे राम’ तीनों का प्रयोग कीजिए और सीता जी का अपमान मत कीजिए.
राहुल गांधी ‘जय सियाराम’ का सिर्फ नारा नहीं लगा रहे हैं बल्कि आरएसएस और बीजेपी को उसी नारे में उलझाने की कोशिश कर रहे हैं और अब तक आरएसएस या बीजेपी की तरफ से ऐसा कोई जवाब नहीं आया जिससे यह मुद्दा खत्म हो जाए. बीजेपी की तरफ से जो जवाब दिए गए हैं वह सिर्फ खानापूर्ति मालूम पड़ती है. क्योंकि राहुल गांधी की बातों का तर्कपूर्ण जवाब अभी तक नहीं आया है.
‘जय सियाराम’ बोलकर राहुल गांधी ने बीजेपी पर और आरएसएस पर काफी मजबूत प्रहार किया है. राहुल गांधी ने मातृ शक्ति का आह्वान किया है, जिसे बीजेपी की तरफ से साइलेंट वोटर बताया जाता रहा है.