बुलडोजर से न्याय देने की कोशिश पिछले कुछ वक्त से हो रही थी और इसमें सबसे आगे उत्तर प्रदेश था और शुरुआत भी योगी आदित्यनाथ की सरकार द्वारा हुई थी. अगर कहीं कुछ अराजक घटनाएं देखने को मिलती थी तो उसके घरों पर बुलडोजर चला दिया जाता था और कहा जाता था कि अतिक्रमण किया हुआ था इसलिए घर गिरा दिया गया.
बुलडोजर को न्याय का प्रतीक बनाने की कोशिश पिछले कुछ वक्त से बीजेपी की सरकारों द्वारा हो रही थी और मीडिया का एक बड़ा वर्ग इसका समर्थन कर रहा था. उत्तर प्रदेश की बात की जाए तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बाबा बुलडोजर के नाम से प्रसिद्ध करने की भी कोशिश की गई थी. मीडिया से जुड़े हुए बड़े-बड़े पत्रकार और एंकर इस न्याय व्यवस्था का समर्थन कर रहे थे.
लेकिन सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक कुछ ऐसे भी लोग थे जो इस न्याय व्यवस्था का विरोध कर रहे थे और इसका समर्थन करने वाले पत्रकारों का विरोध कर रहे थे. लेकिन फिर भी इस व्यवस्था को कोई रोक नहीं पा रहा था और अभी भी यह रुकने का नाम नहीं ले रही है.
कानपुर से एक ऐसी ही हृदय विदारक घटना देखने को मिली है, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. कानपुर देहात में अतिक्रमण विरोधी अभियान के नाम पर बुलडोजर से एक झोपड़ी गिरा दी गई, जिसमें एक महिला और उसकी बेटी की जल’कर मौ’त भी हो गई है और इस घटना ने राजनीतिक रूप भी ले लिया है और अब बाबा बुलडोजर यानी योगी आदित्यनाथ से सवाल पूछने की बुलडोजर का समर्थन करने वाले पत्रकार पुलिस प्रशासन को दोषी ठहरा रहे हैं.
इसी को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है कि, जो बेशर्म पत्रकार बुलडोज़र से घरों को रौंदने की तानाशाही को अब तक बाबा का प्रताप बताकर तारीफ़ों के पुल बांध रहे थे, वही चौबीस घंटे से कानपुर की घटना के लिए अधिकारियों को कोस रहे हैं. मुसलमानों के घरों पर बुलडोज़र चला तो योगी बन गए बाबा बुलडोज़र और कानपुर में दोषी सिर्फ़ अधिकारी?
जो बेशर्म पत्रकार बुलडोज़र से घरों को रौंदने की तानाशाही को अब तक बाबा का प्रताप बताकर तारीफ़ों के पुल बांध रहे थे ,वही चौबीस घंटे से कानपुर की घटना के लिए अधिकारियों को कोस रहे हैं.
मुसलमानों के घरों पर बुलडोज़र चला तो योगी बन गए बाबा बुलडोज़र और कानपुर में दोषी सिर्फ़ अधिकारी?— Ajit Anjum (@ajitanjum) February 15, 2023
आपको बता दें कि आज तक चैनल पर चित्रा त्रिपाठी ने कानपुर देहात की घटना को लेकर एक शो किया जिसमें उन्होंने इसके लिए है योगी आदित्यनाथ से सवाल नहीं पूछे, उनको जिम्मेदार नहीं ठहराया, बल्कि अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराया. लेकिन पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि ऐसी घटना है अगर गैर बीजेपी शासित राज्यों में होती हैं तो यही पत्रकार और एंकर सीधे मुख्यमंत्री से सवाल करते हैं, उस घटना के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराते हैं.