मध्य प्रदेश में राजनीतिक माहौल एक बार फिर से गर्म हो गया है. बीजेपी (BJP) ने विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. यह लिस्ट जारी होने के बाद से ही मध्य प्रदेश की राजनीति गर्मा गई है. कुछ लोग कह रहे हैं कि बीजेपी ने अभी से हार मान ली है तो कुछ लोगों का कहना है कि बीजेपी मध्य प्रदेश में वापसी के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है.
दूसरी लिस्ट में बीजेपी ने कुछ चौंकाने वाले नाम दिए हैं. इसमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का नाम देखकर हर कोई हैरान है. बताया जा रहा है कि ग्वालियर चंबल में बीजेपी की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है और यहीं से कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आते हैं.
2019 का लोकसभा चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी से हार गए थे. इसके बाद उन्होंने अपने कुछ समर्थक विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया तथा मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. उसके बाद एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम सर्वे यह दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस की वापसी हो रही है तथा बीजेपी मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हार रही है. बीजेपी से जुड़े हुए सूत्रों का भी कहना है कि मध्य प्रदेश को लेकर बीजेपी के अंदर कॉन्फिडेंस की कमी नजर रही है. शिवराज सिंह चौहान की सरकार की विदाई जनता करने वाली है, इसका अंदाजा बीजेपी के दिल्ली नेतृत्व को भी लग गया है.
जब से प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट जारी हुई है उस वक्त से ही यह कयास लगाया जा रहे हैं कि क्या अगली लिस्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम हो सकता है? क्या ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव बीजेपी के टिकट पर लड़ेंगे? कुछ लोगों का कहना है कि बीजेपी नेताओं से पूछ कर टिकट नहीं देती है, बल्कि नेताओं को बताया जाता है कि आपको यहां से चुनाव लड़ना है. तो क्या सच में सिंधिया मध्य प्रदेश का लोकसभा चुनाव लड़ेंगे?
क्या बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व एक तीर से कई निशाने लगाने की तैयारी में है मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को देखते हुए? अगर सिंधिया को टिकट मिलता है तो देखना दिलचस्प होगा कि वह अपना विधानसभा चुनाव कैसे लड़ते हैं, किस रणनीति के तहत वह कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरते हैं तथा क्या वह इस बार जीत पाएंगे? अगर जीत जाते हैं तो उनकी साख बच जाएगी. अगर वह कांग्रेस के खिलाफ हार जाते हैं तो सिंधिया की आगे की राजनीति काफी मुश्किल होगी.