वरुण गांधी 2002 में एक बयान के कारण काफी चर्चा में आए थे उन्होंने कहा था कि जो हाथ हिंदुओं की तरफ उठेगा उस हाथ को वरुण गांधी का’ट देगा. 2002 और 2023 के बीच काफी अंतर आ चुका है. किसान आंदोलन के वक्त से ही वरुण गांधी अपनी ही बीजेपी सरकार के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं. एक वक्त में बीजेपी के अंदर वरुण गांधी को बीजेपी और हिंदुत्व का फायर ब्रांड नेता माना जाता था.
लेकिन आज वही वरुण गांधी हिंदू मुस्लिम भाईचारे की बात कर रहे हैं, हिंदू मुस्लिम एकता की बात कर रहे हैं, जनता के मुद्दों को उठाने की बात कर रहे हैं, मीडिया की आलोचना कर रहे हैं. वरुण गांधी कांग्रेस की लाइन पर बात कर रहे हैं, हिंदू मुस्लिम भाईचारे की बात कर रहे हैं. एक वक्त में वरुण गांधी बीजेपी की तरफ से सबसे युवा महासचिव बनाए गए थे. लेकिन उन्हें 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मंत्रालय में जगह नहीं मिली.
2019 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार में वरुण गांधी को कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई. संगठन में भी उनके पास इस वक्त कोई जिम्मेदारी नहीं है. राजनीतिक जानकार ऐसा मान रहे हैं कि हो सकता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी को लोकसभा का टिकट भी बीजेपी की तरफ से ना मिले और इसका आभास वरुण गांधी को बहुत पहले ही हो चुका था.
दरअसल वरुण गांधी ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी की तरफ से खुद के लिए संभावनाएं देखी थी. ऐसा माना जाता है कि वह उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो न सका. वह योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनाए जाने से भी नाराज थे. वह खुद उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे. लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई. बीजेपी ने उनकी संभावनाओं को उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से खत्म कर दिया.
अब जबकि वह पिछले कुछ सालों से अपनी ही बीजेपी सरकार के खिलाफ बयान बाजी कर रहे हैं, अपनी ही बीजेपी सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं और अपनी ही सरकार की नीतियों के खिलाफ लेख लिख रहे हैं. इससे साफ है कि वह यह मानकर चल रहे हैं कि 2024 में बीजेपी की तरफ से उन्हें लोकसभा टिकट नहीं मिलेगा.
बीजेपी की तरफ से भी उनको मनाने की अभी तक कोई कोशिश नहीं हुई है और राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हो सकता है कि वरुण गांधी अपने लिए कांग्रेसमें जगह की तलाश में है. हालांकि मेनका गांधी के रहते ऐसा संभव होगा? यह आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले तक पता चल जाएगा. वरुण गांधी के पिछले कुछ बयानों पर गौर किया जाए तो वह कह चुके हैं कि ना ही मैं पंडित नेहरू के खिलाफ हूं और ना ही कांग्रेस के खिलाफ हैं.
वह खुद को कांग्रेस से जोड़ने की पूरी कोशिश करते हुए नजर आए हैं. हालांकि वह शामिल होंगे या नहीं होंगे इसको लेकर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया है. कुछ राजनीतिक जानकारों का तो यह भी कहना है कि हो सकता है कि राहुल गांधी की यात्रा में वरुण गांधी राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाते हुए और कदमताल करते हुए नजर आए. हालांकि ऐसा होगा इस पर अभी कहना जल्दबाजी होगी. लेकिन इतना तय है कि वरुण गांधी अगले कुछ वक्त में कुछ बड़ा फैसला कर सकते हैं, कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं.