इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इस वक्त तनाव अपने चरम पर है

यहूदियों का मानना है कि आज जहां इजराइल बसा हुआ है यह वही इलाका है जो ईश्वर ने उनके पहले पूर्वज अब्राहम और उनके वंशजों को देने का वादा किया था

रोमन साम्राज्य में इस इलाके को फिलिस्तीन नाम दिया गया था

ईशा के सात दशकों बाद यहूदी लोग इस इलाके से बेदखल कर दिए गए. इस्लाम के अभ्युदय के साथ सातवीं सदी में फिलीस्तीन अरबों के नियंत्रण में आ गया

यहां यहूदी लोग बड़ी संख्या में आकर बसने लगे और स्थानीय लोगों में उन्हें लेकर विरोध शुरू हो गया.

पहले विश्व युद्ध के बाद ऑटोमन साम्राज्य का विघटन हो गया और ब्रिटेन को राष्ट्र संघ की ओर से फिलिस्तीन का प्रशासन अपने नियंत्रण में लेने की मंजूरी मिल गई.

प्लान बना कि ब्रिटेन के नियंत्रण वाले इलाके को फिलिस्तीनियों और यहूदियों के बीच बांट दिया जाएगा.

साल 1947 में संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन को यहूदियों और अरबों के अलग-अलग राष्ट्र में बांटने को लेकर मतदान करवाया गया और यरूशलम को एक अंतर्राष्ट्रीय शहर बनाया गया.

इस प्लान को यहूदी नेताओं ने तो स्वीकार कर लिया जबकि अरब पक्ष ने इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया और यह कभी लागू भी नहीं हो पाया.

इसके बाद कई बार यहूदियों और अरबों के बीच संघर्ष हुआ. साल 1967 में 6 दिनों तक चला अरब इजरायल संघर्ष एक तरह से आखरी बड़ी लड़ाई थी.

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